Friday, April 8, 2011

एक पडौसी की बीबी की मौत.

मौत सब से funny हादसा है.

सब से अनिश्चित …

मुझे scenes लिख कर भेजने हैं.

हर दिन का अपना बोझ होता है.

मैं office जा रहा हूँ.

और कमबख्त, बेवक्त watchman कहता है.

“१२ माले के काका की wife को attack आया . वो off हो गयी.”

मैं सोचता हूँ. Scenes लिख लूं.

वैसे भी ऊपर जाकर मुझे कौन से दिए जलाना है.

वो आज मरी बुढ़िया.

मैं बरसों पहले मर चूका हूँ .

………

हम शाम तक राह तकते हैं.
अपना -अपना काम ख़त्म कर ….
उनके घर पहुँचते हैं …
…….

मैं सुनता हूँ , देखता हूँ, सोचता हूँ.
आदमी .. और औरत … २५ -३० बरस साथ रहते हैं ..
क्यों , पता नहीं?
फिर एक मर जाता है.
जो बचता है …
वो आखरी साँसों की दास्तान आने वाले हर एक से कहता है.
“२ बजे तक ठीक थी .. खाना खाया . और फिर ..”
वो जो कहता है आधा सच होता है.
आदमी अपनी पत्नी की मौत के बारे में भी आधा झूठ ही कहता है?
आने वाले हर एक से वही बात
वो आदमी , उसका बेटा , उसकी बहू सब दोहराते हैं .
आने वाले का खूब ध्यान रखते हैं.
कोई घर से बिना “कहानी” सुने न जाए
वो भरसक कोशिश करते हैं.
मैं उस कहानी को सुनते - सुनते … सोचता हूँ ..

काश मेरे बाप की उम्र का यह आदमी मुझे एक थप्पड़ मारे और कहे ..
"वह आखरी सांस ले रही थी ..
तब तू यहाँ नहीं आया.
Scenes लिख रहा था ..
अब क्यों आया है ?"

…..
I wish की जो बच गाया
वो आने वाले हर एक के गाल पर एक एक झापड़ रसीद करे.
और कहे …
“क्या जानता है तू , हमारे बारे में.
और क्यों जानना चाहता है हमारे बारे में?
आखरी ५ साल मैंने इस औरत को .. सिर्फ बिस्तर पर देखा है.
लेटे लेटे खाते .. पीते .. और …. बाकी सब करते.”

पकड़ के हमारा गिरेबान ..
वह कहे .. हम सब से .
“वह गयी तो अच्छा है
थी तब तुम कहाँ थे कुत्ते के पिल्ल्लों?
मैं खुद उसे देखने से कतराता था.
Society clean रखता था.”

"जो चली गयी .. वो गयी …
अब तुम लोग अपने अपने घर जाओ .
मेरा दिमाग मत खाओ .
मुझे उस औरत का मातम मानना है जिसके साथ ३० बार सुख दुःख देखे
और आखरी ५ बरस … उसने अकेले ही दुःख देखे.
मुझे अपने बेटे के साथ उसकी माँ की मौत का ग़म ग़लत करना है.
नासिक से बेटा wine लाया है ..
आज वही पीना है ..
जो अब मेरी door bell बजाएगा
उसकी बायको का घो."